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“दिवाली क्यों मनाते हैं? जानें इसकी पौराणिक कथाएं और इतिहास”

दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है। यह पर्व सिर्फ खुशियों का उत्सव ही नहीं है बल्कि इसके पीछे कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँ भी छिपी हुई हैं। आइए जानते हैं, दिवाली मनाने के पीछे की प्रमुख कथाएँ और इसके ऐतिहासिक महत्व:

1. भगवान राम की अयोध्या वापसी (रामायण से जुड़ी कथा)

  • दिवाली का सबसे प्रमुख कारण भगवान राम की रावण पर विजय और 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटना माना जाता है। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर खुशी मनाई, और तभी से दिवाली को दीपों का पर्व कहा जाने लगा।

2. नरकासुर का वध (कृष्ण लीला)

  • दक्षिण भारत में दिवाली का कारण भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करना माना जाता है। नरकासुर ने कई लोगों को कष्ट पहुंचाया था, और श्रीकृष्ण ने उसका वध कर लोगों को मुक्त कराया। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।

3. समुद्र मंथन और माँ लक्ष्मी का प्राकट्य

  • हिंदू मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें माँ लक्ष्मी प्रकट हुईं। इस दिन को माँ लक्ष्मी के स्वागत के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि वे धन, सुख, समृद्धि और शांति की देवी मानी जाती हैं।

4. राजा बलि की कथा (वामन अवतार से जुड़ी)

  • विष्णु जी के वामन अवतार से जुड़ी एक और कथा के अनुसार, दिवाली का संबंध असुर राजा बलि से है, जिसे भगवान विष्णु ने वरदान दिया था कि वह वर्ष में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकता है। इस कारण, दक्षिण भारत के कई हिस्सों में दिवाली का पर्व राजा बलि के स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है।

5. भगवान महावीर का निर्वाण दिवस (जैन धर्म)

  • जैन धर्म के अनुयायियों के लिए दिवाली का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन भगवान महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था। जैन समाज इसे आत्मा की शांति और मुक्ति के पर्व के रूप में मनाता है।

6. बंदी छोड़ दिवस (सिख धर्म)

  • सिख धर्म में दिवाली को “बंदी छोड़ दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी, मुगलों की कैद से मुक्त होकर अमृतसर पहुंचे थे, जहाँ उन्हें देखकर भक्तों ने दीये जलाए।

7. वेदों में दिवाली का आध्यात्मिक महत्व

  • वेदों और उपनिषदों में दिवाली को प्रकाश के पर्व के रूप में वर्णित किया गया है। यह पर्व आत्मा के भीतर के अज्ञान को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाने का प्रतीक है।

इन सभी कथाओं और मान्यताओं से यह स्पष्ट होता है कि दिवाली का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व का पर्व भी है। यह पर्व हमारे जीवन में प्रेम, एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है और हमें अंधकार से उजाले की ओर जाने का मार्ग दिखाता है।

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